चलती के सब है प्यारे
बिगडी को कौन सुधारे ?
कोई मिले , सखी के लाल भले! ||टेक||
जब तक ज्वानी का भर है
तब तक ही नारी तर है
अब इन्द्रिय पाँव पसारे
तब कोई सुने न हमारे
कोई मिले , सखी के लाल भले! ||१||
जब जर जेवर है कर मे
तब मित्र बने घर-घरमे
धन गया - न कोई पुकारे
सब भग जाते डर सारे
कोई मिले , सखी के लाल भले! ||२||
जब सत्ता पास रहेगी
तब हाँजी -हाँजी होगी
जब चुनाव मे जा हारे
कुत्ते नही जाय पुकारे ।
कोई मिले ,
सखी के लाल भले! ||३||
जब तप का बल हैं भारी ।
तब झुण्ड पडे नर- नारी
तप भ्रष्ट भीख नही डारे
घुमते रहो मारे -मारे
कोई मिले
सखी के लाल भले! ||४||
यह तुकड्या ने कहलाया ।
सब प्रभु की छायी माया ।
जब सत्गुरु किरपा तारे ।
तब दुनिया चरण पखारे ।।
कोई मिले ,
सखी के लाल भले ! ॥५ ।।
सुरत ,
दि . १२ - ९ -६२
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