( तर्ज - जिंदगी सुधार बंदे ० ) कैसे जाऊँ पानी भरने ? कूप ताल - बंद है || टेक || भूक प्यास लागी तनमें , कैसे सुनावें इस जनमें ? कौन मिटा देगा ? मनमें , किसका धरुँ छंद है ? || १ || अब तो धीर जाने आया , प्राणभी सताने आया । मोह लेत ममता माया , कब मिले वह नंद है ? || २ || किसकि कुंजी लाऊँ जाके ? कौन मिलेंगे वहाँके ? जो कि पानी देवे बाँके , टूट जाय फंद है || ३ || बिना सद्गरूके कोई , ताल खोलने ना पाई । कहे दास तुकड्या वाकी , दयासे अनंद है || ४ ||