भगवान तेरे ? ( तर्ज : ओठों पे हँसी , पलकों में ) भगवान् मेरे ! नहीं दूर धरे । हरदमही नजर में रहते हैं ।। पानी में है वो , खाने में है वो । गाने में भी गाना कहते हैं ! ॥ टेक ॥ हर चीज उसकी है सूरत । मन्दर में भि उसकी है मूरत ।। फूलोंमें भी है , सूलोंमें भी है । हरदम ही नजर में रहते हैं ! ॥ १ ॥ यह कौन कहे , उसमें न प्रभू । सब छान लिया , दिल ठान लिया ॥ हर स्वाँस में है , पलकों में रहे । हरदम ही नजर में रहते हैं ! ॥२ ॥ भगवान भजे , भगवान मिले । शैतान भजे , शैतान मिले ॥ दोनों की समझका भेद यहाँ । हरदम ही नजर में रहते हैं ! ॥३ ॥ हमसे न जुदा कर सकते कोई । जैसी न सुगंध औ ' फूल अलग ।। तुकड्या ये कहे , दिल मस्त रहे । हरदम ही नजर में रहते हैं ! ।।४ ।। मालेगाँव ; दि . ७ - ९ -६२