नौ तार वाली
( तर्ज : सौ साल पहिले ... )
नौ तार वाली मेरी
प्यारी ये सितार है ।
बजे जब , तो आती ,
उसकी बडी ही बहार है ।
एक - एक तार उसका ,
विश्व का अधार है ।
बजे जब , तो आती
उसकी बड़ी ही बहार है । टेक ॥
एक तार कानों से ही
सुने सारी बातें ।
एक तार नैनों से ही
लगाता है नाते ॥
एक तार है जबाँमें ,
बोले करता प्यार है ।
बजे जब , तो आती
उसकी बडी ही बहार है ! ।।१ ।।
एक तार नाकों से ही
बदन को जिलाता ।
एक तार हाथों से ही
जिन्दगी बनाता ॥
एक तार बुद्धि में है ,
करता सुधार है ।
बजे जब , तो आती
उसकी बडी ही बहार है ! ॥ २ ॥
एक तार पेट में है ,
अन्न को पचाता ।
पैर में है , विश्व में घुमाता ॥
एक तार एक तार सारे मन में ,
लगा देता घोर है ।
बजे जब , तो आती
उसकी बडी ही बहार है ! ॥३ ।।
सारे तारका है मेरा
प्यारा बजवैय्या ।
उसीने चलायी मेरी ,
बजा बजा नैय्या ॥
कहे दास तुकड्या ,
मेरा वही करतार है !
बजे जब , तो आती
उसकी बडी ही बहार है ! ॥४ ॥
देसाईगंज : दि . ७-१०-६२
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