विवेक- सरिता - भजनावली
तुम मंगल प्रभुनाम
( तर्ज : मोहे पनघट पे नंदलाल ... )
तुम मंगल प्रभु - नाम नित्य ,
गात चलोगे ।
तब भव सागर कठिन धार ,
पार करोगे ॥टेक ॥
कल - युगका मंत्र यहा ,
नाम सुमर नाम सही ।
संतन उपदेश यही ॥
होनहार संकट
सबको ही हरोगे ।।१ ।।
शुद्ध रहूँ इस तनसे ,
कायासे औ ,
मनसे द्वेष करो ना किनसे ॥
बन्धुभाव सबसे
साथ हाथ धरोगे ॥२ .।।
हर हमेश संत संग ,
भजनोंसे छाये रंग ।
वृत्ति हमेशा ही दंग ।।
तुकड्या कहे ,
यही बिधि -
निर्धार रखोगे ॥ ३ ॥
पिपलगाँव ( आंध्र प्रदेश ) ;
दि . २८ - ९ -६२ .
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