तेरा नाम बना दे अपना
( तर्ज : सजना ! काहे भूल गये दिन ... )
अपना ! अपना !!
तेरा नाम बना दे अपना ॥ टेक ||
जिसपर तूने प्रेम किया है ।
बतला तू - तेरा कौन यहाँ है ?
थोडे दिनका है ये सपना ! |
सपना यह धन -
दारा कितने दिनकी ?
समय पडेपर रहे न किनकी!
क्यों फिर इनको
लेकर जपना ? ॥ जपना ... ॥२ ॥
काया भी तो साथ न देगी ।
मुर्दा बनकर खाली पडेगी ॥
उसको आखिर
होगा फूँकना ॥ फूँकना ... ॥ ३ ॥
तुकड्यादास कहे प्रभु सुमरे ।
उनके कोटी जन्म सुधारे ॥
क्यों सुख छोडे
हैं इतना || इतना ।। ४ ।।
भुसावल , रेल्वे स्टेशन ;
दि . १७-८-६२
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