रहेगा हमेशा याद !
( तर्ज . मेहंदी लगी मोरे हाथ रे )
रहेगी हमेशा याद है
तुम ही आये थे सपने में ।
दिया भक्ति का साद है !
॥ रहेगी ॥ टेक ||
श्याम शाम का बदन तुम्हारा ।
हाथ रखा मेरे सिर पर प्यारा ॥
बात किया फिर बाद है ! ||१||
कोटि - कोटि कामों का रस था ।
कोटि चन्द्र चेहरे का बस था ।
चरण कमल आबाद हैं ! ||२||
मैं था विषयों के चक्कर में
खाता था मेवा शक्कर में ॥
सुना बन्सि का नाद है ! ||३||
मैं आनन्द से भोर हुआ , फिर ।
कामों पर सिरजोर हुआ फिर ॥
तुकड्या कहे तू अगाध है ! ||४||
बम्बई ;
दि. ९. ९.६२
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