आज है कल नहीं
( तर्ज : तुम : हम भी है , )
आज है , कल नहीं ।
कल भी होगा तो
फिर ना कहीं ॥ टेक ॥
जाता समय फिर न आता जरा
सारा जनम यों ही बीता चला ॥
बीता चला , हाथ कुछ ना मिला ।
गया , वो गया ।
साधना ना मिलेगी सही ! ।। १ ।।
तुझे याद है कि नहीं उम्रकी ?
किसके कहींसे तुझे खब्र की ॥
तुजे खब्र की , सब्र ही सब्र की ।
हँस कहाँ , रो कहाँ ॥
हँसने - रोनेकी कीमत गयी ॥२।।
अब तो रहे मौत के दिन थोडे ।
चलेंगे नहीं थक गये पर घोडे ॥
ये पैर घोडे , ये रोडे पडे ।
य सुधर , याद कर ।
बिना भक्ति गुजारा नहीं ! ||३||
सारी ही दुनियाकी ऐसी रीति ।
तुकड्या कहे , उम्रही बीती जाती ॥
न प्रभू याद आती ।
मानले , छानले ॥
गुरु किरपासे जीवन सही ॥४॥
अहमदाबाद से भुसावल ,
रेल्वे प्रवास ; दि .१३. ९. ६२
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