तन दिया मन दिया !
( तर्ज : हम भी हैं , तुम भी हो ! )
तन दिया , मन दिया !
और जो बच गया ,
धन दिया !||टेक||
अब तो रहा प्रेम ही पास में ।
क्यों करके दुखिया रहूँ आज मैं ।
जो किया सो किया ,
प्रभु भक्तिमें जीवन गया ! ॥१ ॥
किसको दुजा अब कहूँ खास में ।
सब हैं मेरे जबकि मुझम न मैं ॥
जग गया , लग गया ,
मेरे प्यारे से नाता भया !||२ ||
अन्दर - बाहर अब तो है एकही ।
कोई पून या पाप छुपा नहीं ।
त्याग भी , भोग भी ,
त्यागका त्याग भी तो किया ! ॥३ ॥
सबकुछ बने वो ये प्रारब्ध है ।
क्रियमान के बीज ही नष्ट हैं ।
साक्षी मैं , सर्वका ,
रंग - रूपोंसे न्यारा भया ! ।। ४ ।।
अभी मौतने भी मुझे बाग दी ।
सोयी थी किस्मत , खडी जाग दी ।
मिल गया , धुल गया ,
दास तुकड्या रहा ना नया ! ॥ ५ ॥
सूरत : दि . १३. ९. ६२
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