तुम्हीं हो प्रेरक
( तर्ज : तूंचि कर्ता आणि करविता ... )
तुम्हीं हो प्रेरक हम दासों के !
शरण तुम्हारे हम हैं ॥ हो ऽऽ ॥ टेक ॥
संत सद्गुरु आडकोजी से ।
हमरी प्रार्थना तनसे - मनसे ॥
उन्नत हो हम इस जीवन से ।
चरण सहारे हम है ! ॥१ ॥
योग याग नहि हमसे बनता ।
जप - तप करना बड़ा अखरता ॥
तुमरी सुमरण नाव धरी हैं ।
लगे किनारे हम हैं ! ॥२ ॥
स्वॉस - स्वाँस , में तुमरा चिन्तन ।
अवण - मनन तुमरा निजध्यासन ॥
यहि है आसन , यहि है साधन ।
तुम पर हारे हम हैं ! ॥ ३ ॥
हर कामों में झलक तुम्हारी ।
हर चीजों में नजर तुम्हारी ॥
तुकड्यादास का निश्चय है ये
प्रेम के प्यारे हम है ! ॥४ ॥
नागपुर - सेवाश्रम
दि . १४-१०-६२
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