भोला किसान !
( तर्ज : गेला हरी कुण्या गांवा ... )
भोला किसान है मेरा ,
जिसका प्रभुपर निर्धारा ।
न जाये शराब से घेरा ।
वो है प्यारा ,
प्यारा सदा हमरा ! ॥ टेक ॥
पहिले टूटा है तनका ,
दुखीया रहता है मनका |
बदनपर कपडा नहीं सणका ,
फिरकर करता है जीवनका ||
सदा खेतों में है रहता ,
उसका फिरता है डेरा ।
वो है प्यारा , प्यारा सदा हमरा ॥१।।
सीधा स्वभाव है उसका ,
मुफत में खाता नहिं किसका ।
हमेशा साथ करे सचका ,
सच्चा खून उसके नसका ।
करता श्रम हरदम जसका ,
उसीपर जीवन है सारा ।
वो है प्यारा , प्यारा सदा हमरा ॥२ ॥
उसने चैन नहीं देखा ,
बलके नहीं पढा- लीखा ।
नाजको उपजाता बाका ,
बनाता सुन्ना खेती का ॥
बैल और गावोंसे नाता ,
उसीपर प्रेम करे सारा ।
वो है प्यारा ,
प्यारा सदा हमरा ॥३ ।।
आजकी दुनिया मनरंगी ,
न उसको करे कोई संगी ।
फँसादे कहीं नशा गुंगी ,
करादे जिंदगी ही नंगी ॥
दास तुकड्या का परिवारा ,
ऐसा भारत है मेरा ।
वो है प्यारा , प्यारा सदा हमरा ॥४।।
नागपुर से गोंदिया , रेल्वे प्रवास
दि . २०-१-६२
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