अपने मतलब का गाना
अपने मतलब का गाना
तो सभी कहेंगे ।
भाई । सेवाका बाना
अब कौन सहेंगे ? ॥ टेक ॥
रावण भी राजा था ,
तुमने भी सुना ।
कैसा हुआ रामजीसे
उसका धिंगाना ॥
जनता को धोखा देके
कौन रहेंगे । ? ॥ १ ॥
कौन - कौन राजे हवे ,
कौन - कौन गुण्डे ।
कौन - कौन सन्त हुये ,
कौन कौन बण्डे ॥
कौन - कौन शूर रहे ,
किसके रहे झण्डे ।
कौन - कौन कराल दाढी
सबही बने ठण्डे ||
मगर एक कीरत से
सबहि जीयेंगे ! ॥२ ॥
रघुकुल नीती की डींग मारते ।
मगर दूध बेचे में पानी डालते
सारे अगुआ बनने में
नाम पुकारते ।
मगर बखत पड़े
जब पैर पसारते ॥
ऐसा करने से भार
क्या सुखायेंगे ? ॥३ ॥
पैर मिलाकर के चलो
तो है भलाई ।
खेति - किसानी में मलो
तो है भलाई ॥
भाई - भाई बनके खेलो
तो है भलाई ।
आपसी की बात झेलो
तो है भलाई |
कहे तुकड्यादास
अब तो वही रहेंगे ।।४ ।।
वरुड , दि . १-१०-६२
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