काहेको गात ?
( राग : बागेश्री , ताल : तिनताल )
काहेको गात , जब नजर है बुरी ??
अपने घरमें
ही गिरिधारी ! ॥ टेक ॥
मन मन्दर है , ज्ञान है पूजा |
आतम - दर्शन
ही बलिहारी ! ।। १।।
तीरथ कर कर , मल मल न्हाये ।
दिल नहिं धोये ,
तब को तारी ? ॥२।।
जहाँ देखो वहाँ पत्थर पानी ।
बिन भक्ती ,
कहे कौन उद्धारी ? ॥३ ॥
तुकड्यादास कहे , सुन साधो- ।
नियम साफ
रक्खो अति प्यारी ! ॥४ . ।।
गुरुकुंज आश्रम ;
दि . १०-८-६२
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