पागलपन की बात
( तर्ज : तूचि कर्ता आणि करविता ... )
पागलपन की बात न बोलो ।
अपना जीवन तोलो
॥ जी ! ॥ टेक ॥
क्यों दुसरे को दोष दिलाते ?
अवगुण ही सबके बतलाते ??
तुम नहीं अपनी बात दिखाते ।
पहिले अपने दिलको धो लो ! ॥१ ॥
ये बिगड़ा है वो बिगडा है ।
तुम बिगडे , क्या तुम्हें पता है ??
पता लगा तो साधन क्या है ?
को खोज निकालो ! ॥ २ ॥
बडा न बोले अपनी बडाई ।
सुन्ना न बजे भले बजाई ||
तुकड्यादास कहे ,
जो गायी अपने
अपने आप निभालो ! ॥३ ॥
सेवाश्रम - आमगाँव ,
दि .१९. ९. ६२
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