हमसे बोलो न बोलो
( तर्ज चाँद जाने कहाँ खोगया ... )
हमसे बोलो न बोलो तो क्या ।
जबसे पहिलेही
दर्शन दिलाना न था | टेक |
तुमने बोला औ ,
हमको लिया पासमें ।
ये कहा था कि तुमको
किया दास मैं ॥
अबके बिचमें ही छोडो तो क्या ।
जबके पहिले ही
मोहब्बत लगाना न था ॥१ ॥
हम तो चरणों में आये भले भावसे ।
ये समझकर के अबतो
लगे नावसे ||
प्रीत की डोरी तोड़ा तो क्या !
जग - उधारक ही तुमने
कहाना न था ।। २॥
बेर भिल्लिन के झूठे भी छूटे नहीं ।
प्यार कुब्जा का भी
तो न टूटे कहीं ॥
फेर आधेसे मोडा तो क्या !
जब चरण- रज ही
अपना पिलाना न था ।।३।।
देखो बाहरसे छोडे भले जावोगे |
क्या ये दिलसे भी तो
तोडे तुम जावोगे ??
बात भी मुख से ताकी तो क्या !
ये सूरत ही हमको
दिखाना न था ||४||
ऐसा क्या है हुवा ,
हमसे नफरत भयी ।
क्या किसीने हमारी
ये चुगली कहीं ॥
दास तुकड्यासे देरी किया
फूटे दिलको ही पहिले
बनाना न था ॥५ ॥
सेवाश्रम - आमगांव
दि . १६-१-६२
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