त्यागे बिनु विषय - संग ,
( तर्ज : नैन मिले चैन कहाँ ... )
त्यागे बिनु विषय - संग ,
प्रभु का नहिं चढत रंग
सुन सही पियारे , बात मेरी ! ॥टेक॥
दुनिया की मौज भरो ।
और प्रभू दर्श करो ॥
वह नहीं हो सागरो ।।
सुन सही ...॥ १ .॥
खाने को मालोमाल ।
वर्तन में हो जहाल ॥
कालन के वह हवाल ।
सुन सही ...॥ २ ॥
इन्द्रिय को स्वैर छोड ।
धर्म - नीति सर्व तोड ॥
उनको हरि क्यों हो गोड ?
सुन सही ...॥ ३ .॥
कहे , दर्शन हो ।
तुकड्या कहे , दर्शन हो ।
भक्ती में मस्त रहो ।
प्रभु - पद में तबही जियो ।
सुन सही ...॥ ४ ॥
रामगोपाल मंदिर , अयोध्या ;
दि .१३. ८. ६३
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