अरे नटखट !
( तर्ज : तेरे दया धरम नहीं मनमें ... )
अरे नटखट ! क्यों चलता है ? ।
तेरा नाम लिखा जावेगा ! ॥ टेक ॥
खून भरा तो क्या होता है ,
क्यों नहिं सेवा करता ? ।
बहु बेटी की इज्जत लेने ,
गल्लि - गल्लि फिरता ॥१ ॥
दिनभर झगडा , किसीको रगडा
किसीको मारे चाटा ।
काल बली की पुकार आयी ,
दाल गले नहिं आटा ! ॥२ ॥
सबमें प्रेम करेगा तब तो
जम भी मित्र बनेगा ।
तुकड्यादास कहे ,
नहिं तो फिर ,
चौऱ्यासी ही छनेगा ॥ ३ ॥
वारासिवनी ;
दि . २ ९ - ९ -६२
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