मनमुराद पाप करो
( तर्ज : दो हंसो का जोडा ... )
मनमुराद पाप करो
जीवोगे कैसे ?
थोडा हुआ कैन्सर
तो खाओगे कैसे ?? || टेक ||
याद रखो नेकी से जीता आदमी ।
जनम जनम कीरत से
खाता आदमी ॥
रहनेवाला नहीं ये जाता आदमी ।
मगर किया जो - जो
बताता आदमी ॥
दिया है दिलवरने
तो पाओगे कैसे ? ।। १ ।।
किसके लिये पाप करो ,
जिन्दगी कितनी ।
उतने दिन जीवोगे बन्दगी जितनी ॥
समझ नहीं आवे जवानी है कितनी ।
बुढापेमें आस करे रानीयाँ कितनी ॥
डाले हुये पानीसे
न्हावोगे कैसे । ? ।।२ ।।
इसीलिये कहता हूँ ,
पाप ना करो ।
भाई- बंदगीसे रहो ,
ताप ना करो ॥
जहाँ रहो वहाँका
खा के साफ ना करो ।
नागानी ही जान को
संताप ना करो ॥
कहे दास तुकड्या ,
फिर आवोगे कैसे ? ॥ ३ ॥
वरुड ; दि . १-१०-६२
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