गुरुदेव तुम्हारे
( तर्ज : जीवन में पिया तेरा साथ रहे ... )
गुरुदेव तुम्हारे दर्शन से
यह मन का मैल
निकल ही गया ! ॥ टेक ॥
सत्संग तुम्हारा अमृत है
दिल मस्त बने , यदि हो मृत है ।
नहिं काल भि बाध सके जियको
यह जन्म - मरन दुख दूर भया ! ॥१॥
कोई गंगा जलमें न्हावत है
कोई काशि- अयोध्या जावत है ।
हमें तुम्हरे चरण पद- पंकज ही ?
यह तिरथ राजने भेट दिया ! ॥ २ ॥
कोई लाख किताबें पढ़ पढके ,
पंडीत भये जनमानसमें ॥
हमें तुम्हरे सहज समागमने ,
घट अन्दर बेद दिखाय दिया ! ।।३ ।।
सब मिलके रहो ,
सब पर हो निगा ,
किसि जीवका द्वेष नहीं करना ॥
सब जीव - जगत् है आत्म मेरा
तुकड्या को बड़ा
यह मन्त्र दिया ! ।।४ ।।
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