आओ आओ , प्रभु - चरण रिझायेंगे
( तर्ज : छोडो छोडो मोरे सैया बावरे ... )
आओ आओ ,
प्रभु - चरण रिझायेंगे || टेक ||
" हम गरिबनको को साधन है ?
ब्रह्म - भोज करने नहीं धन है ।
दिल - मन से गुण गायेंगे ! || १ ||
उमर भयी अब योग न साधे ।
आसन - प्राणायाम उपाधे ॥
हम सुमरण कर पायेंगे ! ॥ २ ॥
पूजा-विधी नाना परकारा ।
चलत दिमाग नहीं अब मोरा ॥
भजन - भक्ति उर लायेंगे ! ॥३ ॥ तुकड्यादास सुगम मारग से ।
सत्गुरु - देव दिये साधन से ॥
पद- पद पर चढ़ जायेंगे ! ॥४ ॥
गुरुकुंज आश्रम ; दि . १५ - ९ -६२
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