मंगल गुण गावो !
( तर्ज : ज्योति कलश छलके )
मंगल गुण गावो ॥ प्रभुके ॥ टेक ॥
जो तारक - मारक दुनिया के
उद्धारक हैं भक्त जनोंके ॥
भूल नहीं जाओ ॥ प्रभुके ।। १ ।।
सदाचार की सुन्दर माला ।
चरित्र - नीती का उजियाला ॥
चरनों पहिनाओ ॥ प्रभुके ।। २ ।।
भोली - भाली मधुरी बाणी ।
अनुभव के तारों पर चीनी ||
जनमत सुलझावो । प्रभुके ।। ३ ।।
कलजुग की है महिमा ऐसी ।
नाम जपे पावे अविनाशी ॥
निर्मल चित्त लावो ॥ प्रभुके ।।४ ।।
तुकड्यादास कहे , भजनोंसे
प्रभु पायेंगे पूंछो हमसे ॥
रंगमें रँग जाओ ॥ प्रभुके ।। ५ ।।
रेल्वे प्रवास , सुरत से भुसावल ;
दि . १३ - ९ -६२
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