जबकि नेकीसे जीता
( तर्ज : तेरे दया - धरम नहीं मन में ... )
जबकी नेकीसे जीता है ।
तब तू शराब क्यों पीता है ? ॥ टेक ॥
तुझे पता है , आजतलक ये ,
शराब किसने खायी ?
माँसाहारी औ व्यभिचारी ,
उनकी यह बाता हैं ।
तब तू शराब क्यों पीता है ? ।।१ ।।
तीनों भी है मित्र सदा ये ,
चौथा मित्र है चोरी ।
राक्षस के ये घरमें रहते ,
इनके गुरु अघोरी ॥
तब तू शराब क्यों पीता है ? ॥२ ॥
धर्मवान् तू माला पहिने ,
चन्दन सिरपे लावे ।
छोड़ आजसे शराब पीना ,
बिगडे पथ ना जावे ॥
तब तू शराब क्यों पीता है ? ॥ ३ ॥
सुनो ऊठ और स्नान बनाकर
सुमरण कर सद्गुरुका ।
तुकड्यादास कहे , तब पावे ,
जगा तुझे सुर नरका ॥
तब तू शराब क्यों पीता है ? ॥४ ॥
मेहेंदीवाडा ; दि . २२. ९. ६२
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