कौनसी गर्ज थी ,
( तर्ज : क्या मिल गया है , )
कौनसी गर्ज थी ,
या के नामर्ज थी ।
हम तो थे ही मिले ,
फिर क्या हर्ज थी ??
एकसे हि नहीं खेल होता कहीं ।
करके दो हो गये ,
क्यों यही फर्ज थी ? ॥ टेक ॥
न माया बनेगी ,
तो दुनियां कहाँ ? ?
और दुनियाँ नही तो
मजा भी कहाँ ? ?
ये सारी मजामें न चेतन रहा ।
तो ये ना रहा और वो ना रहा- ॥
और वो ना रहा ! ॥ १ ॥
ये सारे मिले फिर भी एकी नहीं ।
तब मिलना - मिलाना सही ही नहीं ॥
कहता तुकड्या ,
मिले हो तो दिलके सही ।
फिर तो आये मजा ,
जो पुंछोना कहीं ॥ २ ॥
आंध्र प्रदेश भुताई ;
दि . २४-४-६२
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