तोडो तोडो
( तर्ज : छोडो - छोडो मोरे सैय्या)
तोडो - तोडो नहीं
मनकी भावना ! ॥ टेक ॥
बहुत जनम का हूँ दुखिया मैं ।
चाहता हूँ मुझको सुखिया मैं ।
जरा पट खोलो मोहे बोलोना ? ।।१।।
सत् नियत की लायी है माला ।
जन - सेवा का ओढ दुशाला ।।
भगती - आरती है कामना !
हम आवे और तुम लो खाडा ।
इतना पाप हमारा जाडा
हो तो भी तुम छोडोना ।।२ ।।
मन - मन्दिर की निर्मल बाती ।
सोहं के सँग जलती जाती ॥
तुकड्या के तुम हो लो ना ||४||
अहमदाबाद से भुसावल ,
रेल्वे प्रवास ; दि . १३ - ९ -६२
टिप्पण्या
टिप्पणी पोस्ट करा