भक्ति बिना मुक्ति नही
( तर्ज : नैन मिले चैन कहाँ ... )
भक्ति बिना मुक्ति नहीं ।
जीवन में शक्ति नहीं ॥
भक्ति ही उधारे , पार करे ॥ टेक ॥
भक्तीका अर्थ यही ,
झूठ न हो प्रीत कहीं ।
काया - मन - वाच सही ।
भक्ति ही ॥१ ॥ ..
भक्तिका हि यह प्रकार ,
आज्ञापालन अधार ।
नित्य चले सदाचार |
भक्ति ही ... ॥२ ॥
स्वामी ही सर्व धर्म ,
सेवाही उचित कर्म ।
जाने जो वर्म - मर्म ॥
भक्ति ही ॥ ३ ॥
भक्तिका बल महान् ,
पावे वहि हो सुजान
तुकड्याको यही ध्यान ॥
भक्ति ही ... ।। ४ ।।
अयोध्या ; दि . १३-८-६२
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