गुरु बिना कौन है .
( तर्ज : मजसवे बोलरे माधवा ... )
गुरु बिना कौन है ज्ञान दे ।
वहि छोडे अज्ञान के परदे ॥ टेक ॥
सब जन जाने स्वारथ अपना ।
विषयन के सुख का जो सपना ।
कौन हैं- इन से मुक्त करा दे ॥ १ ॥
तन - मन - धन का मोह बड़ा है । ।
पल - पल दिलसे ही जखड़ा है ॥
जीवन नहिं रहने दे साधे ॥२ ॥
मेरा - मेरा कर अभिमाना ।
परम - सूख इनसे ही खोना ।।
यह नहिं मानव - धर्म जगा दे ॥३ ॥
कौन हूँ मैं ? किस कारण आया ?
क्या साधना है , नर - तन पाया ॥
तुकड्यादास कहे , यहि साधे ।।४ ।।
बालाघाट ; दि . २१. ९. ६२
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