कई बार बोला
( तर्ज : सौ साल पहिले ... )
कई बार बोला हमने ,
नाथ ! तारना ।
पिछले जनम को तारे ,
आजभी उद्धारना ! ॥
हमीं हो पक्षी सुंदर ,
हमीं हाथी - मोर ना ।
पिछले जनम को तारे ,
आजभी उद्धारना ! ॥ टेक ॥
तुम छोडा ना करो , अरे वो ,
अरे वोही अखरता दिलको ।
चाहे छोडे कोई , वो ,
अरे वो न पकडता दिलको ॥
यही लगा करता हमको ,
करके किया प्यारना ?
पिछले जनम को तारे ! ।। १ ।।
जिंदगी है सपना , मोरा ,
ये मोरा अनुमान है ।
चार - दिनके खेल - कुद में
यही ना तुफान है ? ?
दूर रहे इनसे अब ,
चाहिये दीदार ना !
पिछले जनम को तारे ! ॥ २ ॥
विषयों का लंदा फंदा ,
फंदा बडी जादू है ।
मन को मार - मार धोले ,
धोले करे स्वादू ये ॥
ऐसी जगह हम चाहते
होयेगा विकार ना ।
पिछले जनम को तारे ! ॥३॥
तुम सधे तो सध जाये ,
सध जाये आखरी ।
अमर सुख पावे हम ,
हमने तो आस धरी ।
तुकड्या मेरे ,
दिन ये सधे चार ना !
पिछले जनम को तारे ! ॥४ ॥
देसाईगंज ; दि . ७-१०-६२
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