( तर्ग - तू तो उडता पंछी यार ० )
धनपर मत रख अपना जान ,
एक दिन होगा दानादान || टेक ||
एक दिन धनसे महल मिलेगा ,
सुखमें आवे प्राण ।
एक दिन बखत पड़ेगी ऐसी ,
कुटियोंमे गुजरान || १ ||
एक दिन भरी जरीकी पगडी ,
राजाका पेहरान ।
एक दिन चिंधी नहि मिलनेकी ,
गोदडीयोंसे काम ॥२ ॥
एक दिन हाथी घोडे घरमें ,
उडे मजा मनमान ।
एक दिन जूती नहीं मिलेगी ,
पैरोंसे है काम ॥ ३ ॥
बिन हरिनाम सूख नहि पावे ,
सुन संतोंका ग्यान ।
अनुभव - सागर मिले भक्तिसे ,
तर जावेगा जान ।। ४ ।।
एक दिन साथी और संगाती ,
रखे तुम्हारा मान ।
तुकड्यादास कहे एक दिनमें ,
गति होगी नादान ॥ ५ ॥
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