( तर्ज - मानले कहना हमारा ० )
होयगा घरका पता जव ,
आजका घर खोयगा तू ॥टेक ॥
कामक्रोधहिको जमाकर ,
पंच विषयनमों रमाकर ।
खो दिया अपना तुने घर ,
मल यही जो धोयगा तू ॥१ ॥
देहका अभिमान भारी ,
धन जमानेसे है यारी ।
विषय -तृष्णा मनमें जारी ,
ना इसीमें सोयगा तू || २ ||
जोरु लडका कौन तेरा ?
किसने दीन्हा मोक्ष - थारा ? ।
नाहकहि कहता है ' मेरा '
बस इसीसे रोयगा तू ॥३ ॥
पंच तत्वों से निराला ,
पंच कोशोंसे सजीला ।
पंच परदोंसे अगीला ,
कहत तुकड्या होयगा तू ॥४ ॥
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