( तर्ज - नैनोंके भीतर नीला , बीच ० )
क्या ढूंढ रहे हो बनमें ,
अपने तनमें राम है || टेक ||
वह सहज समाया भाई !
तू उसको जानत नाहीं ।
रख गुरुको सदा गवाही ,
धर चरणोंमें प्रेम है ।।१ ।।
ना पंथ उसीको होना ,
ना जोग अंगपर लेना ।
बस पावे गुरुके ग्याना ,
नैन प्रकाशे श्याम है ॥ २ ॥
विषयोंसे आँख उठावो ,
हरिप्रेममे चित्त बहलावो ।
नित अंतरध्यान चढावो ,
सच्चा धरलो नेम है ॥३ ॥
झिलमील गिरे उजियाला ,
मिले अमरज्योतिका प्याला ।
कहे तुकड्या भेद निराला ,
समझो अपना काम है ॥४ ॥
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