आये द्वार पे
( तर्ज : पक्षिणी प्रभाती जाये ... )
आये द्वार पे तुम्हारे हाथ जोडे ।
खोलदो किवाडे दर्शनों के ! ॥ टेक ॥
सुना नाम हमने दयालू है भगवन् ।
कितने भी पावन होते ऐसे ! ॥ १।।
क्षमा याचनाकी पूर्ति आज होगी ।
प्रत्यक्ष मिलेगी शांती देवी ! ॥२ ॥
गंगा नहीं देखें मल - मूत्र छानी ।
मिलते ही पानी समा जावे ! ॥३ ।।
तुकड्यादास अबके पिछू नहिं आये ।
चरणों को पाये दृढ भावोंसे ! ॥४ ॥
वर्धा ; दि . ३-१०-६२
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