( तर्ज : अपना सुन्दर देश बनाये ... )
अनुभव बिन धीर न आवे ,
चाहे कोई समझावे ||टेक||
पिता कहे लडकोंसे - बचना ,
झूठ बात मत करना ।
जबतक ठोकर मिले न उसको ,
बेटा हँसी उडावे ||१ ||
काला काम करो मत कोई ,
सत्ता ढोल बजावे ।
जबतक जेल - फाँसी नहिं होती ,
कोई नहीं सुन पावे ||२||
मिथ्या है संसार सरासर ,
भले निगामें आवे ।
मौत घाट उतरे नहिं काया ,
नाहक मुंडा हलावे ||३||
तुकड्यादास कहे हो जिसका ,
उसके सँगही जावे ।
सतगुण बात बताते फिरभी ,
जल्दि समझ नहिं पावे ||४||
बिरला - मंन्दिर ,
दिल्ली , दि . २६. ३. ६२
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