( तर्ज लीजो लीजो खयरिया ० )
धीरे धीरेसे चलना
सम्हलके गडी !
बहते जाओगे ,
लाटें उछलती बड़ी || टेक ||
काम क्रोध ,
मगर - मच्छ ये सतायेंगे ।
लोभ , मोह ,
दंभ जियाको दुखायेंगे ।
तेरी किस्मत सभी
होगी आडी पड़ी ।। १ ।।
जगत मायाकाहि बना ,
ना सम्हल सके ।
होयगा बदनाम तू ,
ना फेर रुक सके ।
फिसले पैर विषयमें
तो देहि नडी ॥ २ ॥
सोच सोचकर उठा
कदमको नेकिसे ।
लौ लगा हरीके
भजनमें जिया जिसे ।
कहता तुकड्या
गुरुके संग प्रीत जड़ी ॥ ३ ॥
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