( तर्ज - नागनी जुल्फॉपे दिल ० )
प्यारे ! दुनियामें जीवन गमाय दिया रे ।
खास घटमें दुईको
समाय दिया रे || टेक ||
तूने अपनी न कीमत जराभी किया ।
खास विषयोंसे बाँधे ,
गुलामी लिया ।
मौत-जीनेनें तुझको
भ्रमाय दिया रे ॥१ ॥
काल बाजा बजाता है
सिरके उपर ।
मौत आकर भिडी है
कराती सफर ।
हुक्म दुश्मनका सिरपर
रमाय लिया रे ॥२ ॥
साध साधे जो कुछ ,
जो रही सो रही ।
ऐसी बक्ती न आवेगी
फिरके कहीं ।
कहता तुकड्या गुरु भज ,
कमाय लिया रे ॥३ ॥
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