चल चल जवान !
( तर्ज : तुझी प्रीत उघड करू कैसी )
चल - चल जवान सब छोड शान !
यह कौन द्वार आया तुफान ??
करने को सब नष्ट मान ! || टेक ||
तू अपना नहीं देश पछाने ।
तब कैसी जायेगी जान ?? || १ ||
जिन बीरोंने खून दिया था ।
उसका कुछ रखले गुमान ! ॥ २ ॥
आजादी यह भूषण तेरा ।
गुम जाये पशु- तूल्य प्राण ! || ३ ||
आँख उठाकर देख जरा तो ।
सरपर नाच रहा विज्ञान ! ॥४ ॥
तुकड्यादास वीर बन बोले
हम भारत माँ की संतान ! ॥५ ॥
गुरुकुंज , दि . ३०.८. ६२
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