( तर्ज - मानले कहना हमारा ० )
भक्तके हितकार हो ,
क्यों दाससे दुर होत हो ? ॥ टेक ॥
नाम मैं सुनता सदा ,
' तुमको भगतकी है खुशी ' ।
द्रौपदीपर वक्त थी ,
जब दौरते आजात हो ॥ १ ॥
' है नही छोटा - बडा ,
तुमको कहीं समझा मुझे ।
बन गया जब धृव बालक ,
दे दिये अमरत्व हो ॥ २ ॥
हारके गज ने पुकारा ,
नाथ तुम आय वहा ।
बंधको छोडे , किये ब्रिद ,
आपने ही सत्य हो || ३ ||
भक्तके खातिरहि मारा ,
कंस मामा जानसे |
कहत तुकड्या , हम गरीबोपर
दया हरवक्त हो ॥ ४ ॥
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