मोरी नैन देखकर
( राग : खमाज ; ताल : तिनताल ... )
मोरी नैन देखकर चमकी शाम !
मोहे अचरज है , यह कौन नाम !!
यह नील कमलसम
रंग आम ! ॥ टेक ॥
अधर लाल जैसी गुलाब है ।
कर बन्सीकी मधुर तान ! ॥१ ॥
कानन कुंडल डोलत सुरसे ।
मोर मुकुट अति देत प्रेम || २ ||
चरण -कमल तारे चमके ।
देखत भुले कोटी काम ! || ३ ||
लपट - झपट पीताम्बर लपटे
लहरावत जमुना सुदाम || ४ ||
तुकड्यादास दरस भयो जबसे ।
जनम जनम पाये अराम ! ॥ ५ ॥
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