( तर्ज - मानले कहना हमारा ० )
क्रोध है जिनमें भरा ,
उन्हें बोधका नहि योग है ॥ टेक ॥
लीनता जिसपासमें ,
वहि बोधकी है आसमें ।
जो मिराते गर्व हैं ,
उन्हें बोधका नहि योग है ।। १ ।।
संगती जो पायगा ,
वहि प्रेम - भक्ती छायगा ।
जो लोभ करते देहका ,
उन्हें बोधका नहि योग है || २ ||
धाम तीरथ न्हायगा ,
वहि पाक दिल बनवायगा ।
जो खुदीकी तानते ,
उन्हें बोधका नहि योग है ।
कहत तुकड्या छोड यह ,
मैं हूँ बड़ा कहना नहीं ।
जो न नीचे सिर झुक ,
उन्हे बांधका नहि योग है ॥
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