( तर्ज - संगत संतनकी करले ० )
बाँके लडते जगमाँही ,
पता तो एकहिको नाही ॥ टेक ॥
सार बिचारा सबने छोड़ा ,
अहंकारके साथी ।
आप आपमें करे लडाई ,
संग नही कुछ आती ॥ १ ॥
एक कहे ' सुनो पंथ हमारा ,
सबसे उँचा जाके ' ।
एक कहे ' तू कौन कहाँका ?
बेद पढ़ाओ लाके ' ॥२ ॥
पंथ - पंथसे लगी लडाई ,
लंगोटीका तंटा ।
परमेश्वर तो न्यारा सबसे ,
यही बजाते घंटा || ३ ||
हिंदू और मुस्लिमकी खूनें ,
पडती है इसमाँही ।
' सब दुनिया तो एक बापकी
इनको नहि कबुलाई || ४ ||
कहता तुकड्या खोज किये पर ,
होगी यह चतुराई ।
पता लगेगा ' ईश्वर सबमें ,
' नाही दूजा भाई ! || ५ ||
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