भक्ति का प्यारा
( तर्ज : झिंजोटी ; ताल : : तिनताल ... )
भक्ती का प्यारा भगवान !
भक्ति से ही तारता है जान ! ॥ टेक ॥
बिन प्रीती भक्ति है सुनी !
भक्ति बिना परचीत न होनी !!
तरने को भव है महान् ।।१ ।।
जप तप योग यज्ञ सब कीन्हे ।
शास्त्र पुराण पढे , पढ लीन्हे ॥
होती ना प्रभु पहिचान ! || २ ||
भक्ती की महिमा अति प्यारी !
भक्तोंने गायी बलिहारी !!
कहते हैं , सब ही सुजान ! ।।३ ।।
जो चित - मनसे प्रभु गुण गावे ।
जनम - जनम धोखा नहिं पावे ॥
तुकड्या ने पाया बरदान ।।४ ।।
गुरुकुंज : दि . ३०-८-६२
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