( तर्ज - नैनोंके भीतर नीला , बीच ० )
अपने ही धुनमें गाना ,
दिल बहलाना राममें ॥टेक ॥
दिल खोल खोलकर प्यारा ,
नैननके बीच उजारा ।
अपने मस्तीका तारा ,
मन रंगवाना श्याममें ॥ १ ॥
हो जंगल बस्ती कोई ,
मंदर हो कुटिया कोई ।
बस , प्रेम लगा दिलमाही ,
पलपल लेना काममे || २ ||
दुनियाकी आशा ना हो ,
विषयोंका फासा ना हो ।
कहे तुकड्या छलबल ना हो ,
समरसता हो नाममे || ३ ||
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