( तर्ज - क्यों नहीं देते हो दर्शन ० )
मस्त होता है उजारा ,
खोल देखो आँखियाँ ।। टेक ॥
लाल अरु पीला निला है ,
श्याम बादल छा रहा ।
मोतियोंसम फूल बरसे ,
रंगसे रंग है नया ॥ १ ॥
आँख मिचके देख लो या ,
जान लो आँखों खुली ।
नैन आवे जब भितर ,
परकास तब होता भया || २ ||
सुन्न होता है बदन ,
अरु बंद होती खिडकियाँ ।
तब गर्जता दिखता अनाहद ,
जैसि मीटी बंसियाँ || ३ ||
कहत तुकड्या मार्गमें ,
प्रभुके मिला करती तऱ्हा ।
चढने लगे मन उन्मनी ,
तब रंग रहते पीछिया ॥४ ॥
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