संकट पर संकट
( तर्ज : मोहे पनघटपे नन्दलाल ... )
संकट पर संकट जब आन पडेगो ।
तुम्हरे बिन कौन नाथ !
काम पडेगो ॥ टेक ॥
मित्र - पुत्र - भाई कोई ना सहाई ।
तिरिया नहीं आयी ॥
रो - रोके आँखोंमे तूफान पडेगी ॥
संकट . ।। १ ॥
बचा - बुच्चा धन भी गयो ,
धीर और जनभी गयो
खुद भी बीमार , तन भी गयो ।
पुछे जमराज आय छाति चढेगी ॥
संकट ... ||२||
इस कारण कहत नाथ ,
बरद रखो दास माथ ।
फिरके नहीं छूटे हाथ ।
तुकड्या का आखरी विश्वास बढेगो ॥
संकट ... ॥३ . ।।
पिंपलगाँव ; ( आंध्र . )
दि . १५ - ९ -६२
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