( तर्ज - पिया मिलनक काज आज ० )
भक्ति रखे दिलके अंदर ,
जब नर वह तरता है ।॥ टेक ॥
प्रेम - भावसे राम पुकारो ,
प्रेम साथ करता है ।
बिना प्रेमके कोउ न बुझे ,
प्रेम रंग भरता है ॥ १ ॥
संत तुका ' जव लगा हरीसे ,
नहि पीछे हटता है ।
' नामा दरजी ' प्रेमभक्तिसे ,
मंदिरमें डटता है ॥२ ॥
प्रेम हरीमे लगाके ' गोरा ' ,
लडका तुडवाता है ।
प्रभु आयकर उसे सम्हाले ,
दुख सारा हरता है | ॥ ३ ॥
तुकड्यादास कहे , कर प्रेमा ,
भव जब यह सरता है ।
भाव - भक्तिसे भजे तो उसकी ,
जानहि उद्धरता है ॥ ४ ॥
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