ले लो मेरी खबर
( तर्ज : जो तो सांगे ज्याला त्याला ... )
ले लो मेरी खबर मुरारी
मैं आया हूँ शरण तुम्हारी ! || टेक ||
तुम जानत हो अंतरयामी ।
मोरे मन भारी खल कामी ॥
मतलबको सिर नीचा करता ।
फिर करता सबसे बलजोरी ! ॥१ ॥
लकडा हो तो आग लगाऊँ ।
पानी हो तो दाँड बहाऊँ ।
पत्थर हो तो फोड फुडाऊँ ।
मगर न इससे चले हमारी ! ॥२ ॥
इसकी चाल रही बन्दर की ।
कभी इधरकी , कभी उधरकी ॥
कभी तो सरकी , कभी पैरकी ।
तुकड्या कहे , रख लाज हमारी ! ॥३ ॥
वर्धा ; दि . ३-१०-६२
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