( तर्ज - इस तन धनकी कौन ० )
बिघ्न हरण तोरे नाम गणेशा |
जो सुमरे पावे न कलेशा ॥ टेक ॥
रूप विशाल महा लंबोदर ।
सब देवनमें तुमही नरेशा ॥१ ॥
कर शोभे त्रिशूल बड भारी ।
ध्यावत सुर नर रूप हमेशा ॥२ ॥
कमर कसी मोतनकी लडियाँ ।
मातु पिता मोरे गौरी महेशा || ३ ||
मूषक वाहन रहत सवारी ।
कहे तुकड्या मोरे हर भवपाशा ॥४ ॥
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