( तर्ज - अजि कौन जगा जगनेकी है ० )
बजे मधुर मधुरसी बाँसुरिया ,
मनमोहनके धुनकी सुरिया ॥टेक ॥
मोरमुकुट कुंडल छब न्यारी ,
गले फूलकी माल पियारी ।
पहने पितांबर केशरिया ।
मनमोहनके धुनकी ० ॥ १ ॥
कमलनयन मृदु केशकलावा ,
कुंजन बनकी श्याम घटावा ।
फूल रही कलियाँ हरिया ।
मनमोहनके धुनकी ० ॥ २ ॥
डोलत बनमें नर अरु नारी ,
वह सुख कहनेकी बलिहारी ।
' कृष्ण कृष्ण ' सबके उरियाँ ।
मनमोहनके धुनकी ० ॥ ३ ॥
तुकड्यादास कहे गति वाँकी ,
बसत प्रेम अजहू सुन ताकी ।
धरत ध्यान मनमों तरिया ।
मनमोहनके धुनकी ० ॥ ४ ॥
टिप्पण्या
टिप्पणी पोस्ट करा