( तर्ज - नैनोंके भीतर नीला , बीच ० )
नरजन्म नही फिर आवे ,
फिर पछतावे फेरके || टेक ||
सब मिले मित्र अरु दारा ,
गज घोडा धनका भारा ।
नहि मानुज - जन्म दुबारा ,
समझो मनमें जो रखे ॥१ ॥
जब राज पाटभी जावे ,
करणीसे और मिलावे ।
जब काल ये चोला खावे ,
सब रह जावे फेरके ॥ २ ॥
अच्छा या बुरा साथी
बस वही रहे संगाती
दुनिया यहिपे रहजाती ,
नहि फिर भाती फेरके ॥ ३ ॥
कहे तुकड्या करले करणी ,
भज रघूनाथ मनमानी ।
मत खो एक श्वास तू प्राणी ,
जी उध्दरले फेरके ॥ ४ ॥
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