( तर्ज - अगर है ग्यानको पाना ० )
अगर तू मोक्ष चाहता हो ,
भजन कर सत्य पानेका
झूठको छोड दे प्यारे !
काम कर सत्य गानेका || टेक ||
पुण्य और पापभी दोनों ,
हटादे मगजसे अपने
हमेशा ज्ञानकी मस्ती ,
चढाले रंग बानेका || १ ||
कभी झूठा नही करना ,
अगर यह प्राणभी जावे ।
भले हो नाशभी घरका ,
तो कारण क्या लजानेका ? ॥२ ॥
हमें तो सत्यही चहिये ,
जहाँ पावे जिधर पावे ।
सत्य है रूप ईश्वरका ,
सत्यही मार्ग जानेका || ३ ||
करो आचारही सचका ,
जिधर बोलो , जिधर खेलो ।
मरो गर मरणभी आवे ,
न छोडो सत्य सीनेका || ४ ||
वो तुकड्यादास कहता है ,
कठिन होता है ये पहिले ।
सहन करता है जो इसको ,
प्रीय होता जमानेका ॥५ ॥
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