( तर्ज - दिखादो नजरसे वह जलवा ० )
यही यार ! तुझको
बिमारी खडी है ।
जबरदस्त माया
पिछाडी पड़ी है ॥ टेक ॥
हुशारीसे चलना
जगतमें पियारे ! ।
नहीं तो खबर लेयगी ,
वह अडी है ।। १ ।।
जवानीके रँगमें
करे पाप सारे ।
बुलाई जमो - द्वार
होगी बड़ी है ॥२ ॥
दवा वहहि देगा
गुरु एक जगमें |
न दूजा कोई
आखरीका गडी है ॥ ३ ॥
कहे दास तुकड्या ,
बिमारी न धर यह ।
समझ , सोच कर
जान खुदसे पड़ी है ॥ ४ ॥
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